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Saturday, 23 February 2013

हंसी तो फंसी - 1


यह कहानी है मेरी पड़ोस में आए नए किरायेदार की। परिवार में दो बेटियाँ और उनकी माँ, बस यही तीन लोग थे। लड़कियों में एक मोनिका 18 साल और दूसरी मानसी 20 साल की थी।
हमारे घर से उनका घर साफ़ दिखता था, कमरा भी पूरा दिखता था और बाथरूम भी।
एक दिन जब मैं अपनी छत पर खड़ा था तब मेरी नजर उनके बाथरूम पर पड़ी। बाथरूम का दरवाजा भी नहीं लगा था।
मैंने देखा कि मोनिका अपनी झांटें साफ़ कर रही थी, एकदम गुलाबी चूत !
मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने पैंट से लंड निकाल लिया और हिलाने लगा। तभी उसने मुझे देख लिया और मुस्कुरा कर अंदर चली गई।
मैंने भी सोचा- हंसी तो फंसी !
मैं भी उससे अब बात करने के मौके की तलाश करने लगा।
एक दिन वह मुझे बाहर दिख गई तो मैंने उसको बोल ही दिया- मैं तुमसे दोस्ती करना चाहता हूँ।
तो उसने मना कर दिया। मैंने सोचा कि मना कर दिया तो ठीक है, मैंने भी उससे बात करना तो क्या उसकी तरफ देखना भी बंद कर दिया।
एक दिन मैं छत पर बैठा था तो अचानक मेरी पास एक गोला सा बनाया हुआ एक कागज कर गिरा। मैंने उसे खोल कर देखा तो उसमें लिखा था- मैं तुम्हें पसंद करती हूँ। तुम मेरे से बात क्यों नहीं करते? लेकिन मैं थोड़ा डरती हूँ क्योंकि तुम्हारा बहुत मोटा है।
यह चिट्ठी मोनिका ने फ़ेंकी थी।
मैं उसकी तरफ देख कर मुस्कुराया और एक फ़्लाइंग किस की। उसने भी मुझे फ़्लाइंग किस किया।
मैं अगले दिन कुछ फोटो लाया। जिसमें एक छोटी लड़की मोटा लंड ले रही है। वो मैंने उसको दे दी।
उसने देख कर कहा- इसे देख कर मुझे कुछ हो गया था।
मैंने उससे पूछा- क्या हुआ था?
तो उसने कहा- पता नहीं ! चूत से पानी निकल गया था।
मैंने उससे कहा- मजा आया ?
तो उसने हाँ में जवाब दिया।
मैंने कहा- और मजा चाहिए?
तो उसने कहा- हाँ !
मैंने उसे कहा- तुम कल स्कूल की छुट्टी कर लेना और तुम्हारी मम्मी और बहन के जाने के बाद मै जाऊँगा, फिर तुम्हें और मजा दूंगा।
वो भी मान गई।
जब मोनिका की मम्मी और बहन चली गई तब मैं उसके घर गया। वो उस समय नाइटी पहने थी, एकदम माल लग रही थी।
मैं जाते ही उसे चूमने लगा और उसकी चूची दबाने लगा।
उसने भी मुझे रोकने की कोशिश नहीं की।
मैंने उसकी नाइटी उतार दी, उसने ब्रा नहीं पहनी थी, सिर्फ पैंटी पहनी थी। मैं उसकी चूची चूसने लगा। चूसते चूसते उसकी पैंटी भी उतार दी और उसकी चूत में उंगली करने लगा। उसकी चूत से पानी निकल रहा था। मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए।
उसने मेरा लंड हाथ में ले लिया और हिलाने लगी। थोड़ी देर बाद मैंने उसकी चूत चाटनी शुरु की और साथ ही उसकी गांड में उंगली डालने लगा। फिर मैंने उसके पूरे जिस्म को ऊपर से नीचे तक चूमा। फिर उसने मेरे कहने पर मेरा लंड मुँह में लेकर चूसना शुरु किया। वो करीब 15 मिनट तक मेरा लंड चूसती रही।
फ़िर वो तेल की शीशी ले आई और कहने लगी- पहले मेरी चूची और चूत की मालिश करो फिर मै तुम्हारे लंड की मालिश करुँगी, फिर उसके बाद तुम अपना काम कर लेना।मैंने तेल की कुछ बूंदें उसकी चूचियों पर गिराई और मालिश करने लगा और दबाने लगा, उसके चुचूकों को मसलने लगा। उसकी चूची एकदम सख्त हो गई। फिर मैंने उसकी चूत की मालिश करनी शुरु की, उसकी चूत में उंगलियाँ डाल-डाल कर मालिश करने लगा। उसके मुँह से मस्त-मस्त आवाजें निकल रही थी। थोड़ी देर में वो झड़ गई।
अब वो मेरे लण्ड की तेल लगा कर मालिश करने लगी। मेरा लंड एकदम सख्त हो गया।
फिर हम अपना काम करने के लिए तैयार थे। मैंने जैसे ही लंड उसकी चूत पर टिकाया उसकी बहन के आने की आवाज आई। मोनिका ने मुझे बाथरूम में छुपा दिया और खुद तौलिया लपेट कर दरवाजा खोला। उसकी बहन की तबियत खराब थी इसलिए वो जल्दी गई और हम फंस गए।
उसकी बहन उससे पूछने लगी- तौलिया क्यों लपेट रखा है?
उसने कहा- नहाने जा रही थी, इतने में आप गई।
तो वो कहने लगी- तू रुक जा ! मैं पहले नहा लूँ फिर तू नहा लियो।
वो मोनिका को कमरे में छोड़ कर बाथरूम की तरफ गई और बाथरूम का दरवाज़ा खोल कर अंदर आई तो उसने मुझे देख लिया।
मेरा लंड, जो खड़ा था वो मुरझा के मूंगफली हो गया, मैं डर गया।
उसने मुझसे पूछा- तुम यहाँ क्या कर रहे हो?मै कुछ नहीं सोच पा रहा था।
तभी उसने मेरे से कहा- मैं तुम्हारे घर पर कहने जा रही हूँ।
तभी मैंने उसे रोका और कहा- प्लीज़, मत जाओ, किसी से कुछ मत कहना ! तुम जो बोलोगी वो करूँगा। जो मांगोगी, वो मैं तुमको दे दूंगा।
उसने कहा- ठीक है ! पर मोनिका को मत बताना कि मैंने तुमको देख लिया है। बोल देना कि मैं बाहर से ही चली गई। मैं तुमसे बाद में बात करुँगी।
और वो चली गई। मेरी जान में जान आई।
थोड़ी देर में मोनिका आई और कहने लगी- क्या हुआ? दीदी ने तुमको नहीं देखा क्या?
तो मैंने कहा- देखा ना ! पर इतना लम्बा देख कर डर कर चली गई।
वो गुस्से से मेरी तरफ देखने लगी।
मैंने कहा- अरे बाबा, मजाक कर रहा हूँ, वो तो बाहर से ही चली गई।
मैंने उससे पूछा- तुमसे अंदर आकर क्या कहा?
वो मोनिका ने कहा- मेरे से कहा कि मैं पहले सो लूँ, फिर नहा लूंगी।
फिर वो अंदर गई और हम एक दूसरे को चूमने लगे।
वो कहने लगी- ज्यादा समय नहीं है, जो करना है जल्दी करो !
इसलिए मैंने उसकी एक टांग को टब पर रखवा दिया और अपना लंड जो कि चूमा-चाटी से दुबारा खड़ा हो गया था, पीछे से उसकी चूत के मुँह पर रखा और एक धक्का दिया।
उसकी हल्की सी चीख निकल गई। मेरा आधा लंड उसकी चूत में उतर गया था।
तभी उसकी बहन आई और बाहर से ही पूछने लगी- क्या हुआ? चिल्ला क्यों रही हो ? कोई सांप है क्या अंदर।
पर उसको मालूम था कि सांप नहीं, लम्बे लंड वाला मैं हूँ अन्दर।
मोनिका ने कहा- कुछ नहीं दीदी ! गिर गई हूँ मैं !
उसकी बहन यह बोल कर चली गई- थोड़ा ध्यान से नहा ! नहीं तो कुछ हो गया तो मुँह दिखाने के काबिल नहीं रहेगी।
फिर मैंने उसके मुँह पर हाथ रखा और एक और धक्का दिया। मेरा पूरा लंड उसकी चूत में था और वो रोने लगी थी, उसकी चूत से खून और पानी निकल रहा था।
थोड़ी देर मै वैसे ही रुका रहा और उसकी चूची सहलाने लगा। जब उसका दर्द कम हुआ तो वो भी मजा लेने लगी और मेरा पूरा साथ देने लगी।
वो थोड़ी ही देर में झड़ गई पर मै नहीं झड़ा था। मैंने उसको गोद में उठा लिया और फिर चुदाई की। और करीब 15 मिनट बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। इस बीच वो तीन बार झड़ चुकी थी। फिर हम साथ में नहाये और वो तौलिया लपेट कर अपने कमरे में गई और मेरे कपड़े उठा कर लाई। मै कपड़े पहन कर वापिस अपने घर चला गया।
अगली कहानी में बताऊंगा कि कैसे मैंने उसकी बड़ी बहन मानसी को पार्क में चोदा।

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